HUMARE BHOLE DADA JI
इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है इनका वास्तविक व्यक्ति या वस्तु से कोई सम्बन्ध नहीं है यदि किसी घटना या व्यक्ति से सम्बन्ध पाया जाता है तो ये मात्र एक सयोंग ही हो सकता है.
तो
पेश
है
हमारी
कहानी
हमारे
भोले
दादा
जी
ये
है
जाने
माने
उद्योगपति
अविनाश
वधावन
ये
किसी
परिचय
के
मोहताज
नहीं
है
ये
शहर
के
जाने
माने
उद्योगपति
है
इनके
पास
अपनी
हवेली
है
कार
है
सैकड़ो
नौकर
चाकर
है।
इनको
किसी
चीज
की
कोई
कमी
नहीं
हर
तरह
से
पूर्ण
सुखी
इनके
एक
बेटा
है
नटखट
विनय
कॉमिक्स
का
शौक़ीन
हर
दम
नई
नई
कॉमिक्स
पढता
रहता
है
यु
समझिये
उसी
के
कारन
पुरे
घर
में
कॉमिक्स
बिखरी
पड़ी
रहती
है. और
है
अविनाश
के
बूढ़े
पिता
जो
हाल
ही
में
गाँव
से
शहर
आये
है
कौन
है
ये
आरति
जानने
के
लिए
पढ़े
वाह
रे
आरति
घूमने
फिरने
के
बड़े
शौक़ीन
कभी
घर
में
नहीं
बैठते
हमेशा
बहार
घूमते
ही
रहते
है
कभी
मंदिर
कभी
मस्जिद
कभी
गुरुद्वारा
कभी
चर्च
सब
जगह
जा
चुके
है
इनकी
एक
ही
खास
इच्छा
है
उडनखटोले
में
बैठेने
की
जी
हां
ये
हवाई
जहाज
को
उड़न
खटोला
ही
कहते
है.
आज
ये
भी
घर
पर
ही
है. ये
छड़ी
की
जगह
हॉकी
स्टिक
रखते
हैं.
क्यों
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